Friday, 30 May 2014

एक नम्बर के हरामी बूढ़े -प्रेषक : मोउमिता Part 1

एक नम्बर के हरामी बूढ़े -प्रेषक : मोउमिता


कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिसमें आदमी खूद--खुद खिंचता चला जाता है। चाहे वो चाहे या चाहे। आदमी कितना भी समझदार हो लेकिन कभी-कभी उसकी समझदारी उसे ले डूबती है। ऐसी ही एक घटना मेरे साथ हुई थी। जिसे आज तक मेरे अलावा कोई नही जानता है। आज मैं यही बात आपसे शेयर करती हूँ। मैं मोउमिता , मेरे पति का नाम है सुमित्रों , उम्र 33 साल, कलकता के विले में रहती हूँ। मेरे पति एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में काम करते हैं। मैं भी एक छोटी सी सॉफ्टवेर कंपनी में काम करती हूँ। ये बात काफ़ी साल पहले की है तब हम शहर से दूर एक फ्लैट में रहते थे। हमारी शादी उसी फ्लैट में हुई थी। मीया बीवी अकेले ही उस फ्लैट में रहते थे। उस फ्लैट में हमसे ऊपर एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक जवान कपल थे नाम था सपना और दीपांकर। उनके कोई बच्चा नही था। साथ में उनके ससुर जी भी रहते थे। उनकी उम्र कोई 60 साल के आस पास थी उनका नाम कैलाश शर्मा था मैं सपना से बहुत जल्दी काफ़ी घुल मिल गयी। अक्सर वो हमारे घर आती या मैं उसके घर चली जाती थी।

मैं अक्सर घर में स्कर्ट और टी शर्ट में रहती थी। मैं स्कर्ट के नीच छोटी सी एक कक्षी पहनती थी। मगर टी शर्ट के नीचे कुछ नही पहनती थी। इससे मेरे बड़े बड़े बूब्स हल्की हरकत से भी उछल उछल जाते थे। मेरे निपल्स टी शर्ट के बाहर से ही सॉफ सॉफ नज़र आते थे। सपना के ससुर का नाम मैं जानती थी। उन्हे बस शर्मा अंकल कहती थी। मैने महसूस किया शर्मा अंकल मुझ में कुछ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेते थे। जब भी मैं उनके सामने होती उनकी नज़रें मेरे बदन पर फिरती रहती थी। मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। मैं उनकी बहू की उम्र की थी मगर फिर भी वो मुझ पर गंदी नियत रखते थे। लेकिन उनका हँसमुख और लापरवाह स्वाभाव धीरे धीरे मुझ पर असर करने लगा। धीरे धीरे मैं उनकी नज़रों से वाकिफ़ होती गयी। अब उनका मेरे बदन को घूरना अच्छा लगने लगा। मैं उनकी नज़रों को अपनी चूचियो पर या अपने स्कर्ट के नीचे से झाँकती नग्न टाँगों पर पाकर मुस्कुरा देती थी सपना थोड़ी आलसी किस्म की थी इसलिए कहीं से कुछ भी मंगवाना हो तो अक्सर अपने ससुर जी को ही भेजती थी। मेरे घर भी अक्सर उसके ससुर जी ही आते थे। वो हमेशा मेरे संग ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गुजारने की कोशिश में रहते थे। उनकी नज़रे हमेशा मेरी टी शर्ट के गले से झाँकते बूब्स पर रहती थी। मैं पहनावे के मामले में थोड़ा बेफ़िक्र ही रहती थी। अब जब भगवान ने इतना सेक्सी शरीर दिया है तो थोड़ा बहुत एक्सपोज़ करने में क्या हर्ज़ है। वो मुझे अक्सर छुने की भी कोशिश करते थे लेकिन मैं उन्हे ज़्यादा लिफ्ट नही देती थी।

अब असल घटना पर आया जाय। अचानक खबर आई कि मम्मी की तबीयत खराब है। मैं अपने मायके इन्दौर चली आई। उन दिनो मोबाइल नही था और टेलिफोन भी बहुत कम लोगों के पास होते थे। कुछ दिन रह कर मैं वापस कलकता गयी। मैने सुमित्रों को पहले से कोई सूचना नही दी थी क्योंकि हमारे घर में टेलिफोन नही था। मैं शाम को अपने फ्लैट में पहुँची तो पाया की दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। वहीं दरवाजे के बाहर समान रख कर सुमित्रों का इंतजार करने लगी। सुमित्रों शाम 8 बजे तक घर जाता था। लेकिन जब 9 हो गये तो मुझे चिंता सताने लगी। फ्लैट में ज़्यादा किसी से जान पहचान नही थी। मैने सपना से पूछने का विचार किया। मैने ऊपर जा कर सपना के घर की कालबेल बजाई। अंदर से टी.वी. चलने की आवाज़ रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुला। मैने देखा सामने शर्मा जी खड़े हैं। " नमस्तेवो सपना है क्या?" मैने पूछा।" सपना तो दीपांकर के साथ हफ्ते भर के लिए गोवा गयी है घूमने। वैसे तुम कब आई?"" जी अभी कुछ देर पहले। घर पर ताला लगा है सुमित्रों …?"" सुमित्रों तो गुजरात गया है अफीशियल काम से कल तक आएगा।" उन्होंने मुझे मुस्कुरा कर देखा- "तुम्हे बताया नही" " नही अंकल उनसे मेरी कोई बात ही नही हुई। वैसे मेरी प्लानिंग कुछ दिनो बाद आने की थी।""तुम अंदर तो आओ" उन्होंने कहा मैं असमंजस सी अपनी जगह पर खड़ी रही।"सपना नही है तो क्या हुआ मैं तो हूँ। तुम अंदर तो आओ।" कहकर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खींचा। मैं कमरे में गयी। उन्होंने आगे बढ़ कर दरवाजे को बंद करके कुण्डी लगा दी। मैने झिझकते हुए ड्रॉयिंग रूम में कदम रखा। जैसे ही सेंटर टेबल पर नज़र पड़ी मैं थम गयी। सेंटर टेबल पर बियर की बॉटल्स रखी हुई थी। आस पास स्नॅक्स बिखरे पड़े थे। एक सिंगल सोफे पर हालदार अंकल बैठे हुए थे। उनके एक हाथ में बियर का गिलास था। जिसमें से वो हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहे थे।

मैं उस महौल को देख कर चौंक गयी। शर्मा अंकल ने मेरी झिझक को समझा और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- " अरे घबराने की क्या बात है। आज IPL मैच चल रहा है ना। सो हम दोनो दोस्त मैच को एंजाय कर रहे थे।" मैने सामने देखा टीवी पर IPL मुम्बई इंडियन्स v/s कोलकता नाईट राइडर्स का मैच चल रहा था। मेरी समझ में नही रहा था कि मेरा क्या करना उचित होगा। यहाँ इनके बीच बैठना या किसी होटेल में जाकर ठहरना। घर के दरवाजे पर इंटरलॉक था इसलिए तोडा भी नही जा सकता था। मैं वहीं सोफे पर बैठ गयी। मैने सोचा मेरे अलावा दोनो आदमी बुजुर्ग हैं इनसे डरने की क्या ज़रूरत है। लेकिन रात भर रुकने की बात जहाँ आती है तो एक बार सोचना ही पड़ता है। मैं इन्ही विचारों में गुमसुम बैठी थी लेकिन उन्होंने मानो मेरे मन में चल रहे उथल पुथल को भाँप लिया था। "क्या सोच रही हो? कहीं और रुकने से अच्छा है रात को तुम यहीं रुक जाओ। तुम सपना और दीपांकर के बेड रूम में रुक जाना मैं अपने कमरे में सो जाउन्गा। भाई मैं तुम्हे काट नही लूँगा। अब तो बूढ़ा हो गया हूँ। हा..हा..हा.." उनके इस तरह बोलने से महौल थोड़ा हल्का हुआ। मैने भी सोचा कि मैं बेवजह एक बुजुर्ग आदमी पर शक कर रही हूँ। मैं उनके साथ बैठ कर मैच देखने लगी। मुम्बई इंडियन्स बैटिंग कर रही थी। खेल काफ़ी काँटे का था इसलिए रोमांच पूरा था। मैने देखा दोनो बीच बीच में कनखियों से स्कर्ट से बाहर झाँकती मेरी गोरी टाँगों को और टी शर्ट से उभरे हुए मेरे बूब्स पर नज़र डाल रहे थे। पहले पहले मुझे कुछ शर्म आई लेकिन फिर मैने इस ओर गौर करना छोड़ दिया। मैं सामने टीवी पर चल रहे खेल का मज़ा ले रही थी। जैसे ही कोई आउट होता हम सब खुशी से उछल पड़ते और हर शॉट पर गलियाँ देने लगते। ये सब IPL मैच का एक कामन सीन रहता है। हर बॉल के साथ लगता है हम सारे खेल रहे हों।

कुछ देर बाद शर्मा अंकल ने पूछा, "मोउमिता तुम कुछ लोगी? बियर या जिन?"मैने ना में सिर हिलाया लेकिन बार बार रिक्वेस्ट करने पर मैने कहा, "बियर चल जाएगी...."उन्होंने एक बॉटल ओपन कर के मेरे लिए भी एक गिलास भरा फिर हम "चियर्स" बोल कर अपने अपने गिलास से सीप करने लगे। शर्मा अंकल ने दीवार पर लगी घड़ी पर निगाह डालते हुए कहा" अब कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम किया जाय"-उन्होने मेरे चेहरे पर निगाह गढ़ाते हुए कहा-" तुमने शाम को कुछ खाया या नही?"मैं उनके इस प्रश्न पर हड़बड़ा गयी- " हां मैने खा लिया था।" "तुम जब झूठ बोलती हो तो बहुत अच्छी लगती हो। पास के होटेल से तीन खाने का ऑर्डर दे दे और बोल कि जल्दी भेज देगा" हालदार अंकल ने फोन करके। खाना मंगवा लिया।एक गिलास के बाद दूसरा गिलास भरते गये और मैं उन्हे सीप कर कर के ख़तम करती गयी। धीरे धीरे बियर का नशा नज़र आने लगा। मैं भी उन लोगों के साथ ही चीख चिल्ला रही थी, तालियाँ बजा रही थी।

कुछ देर बाद खाना गया हमने उठकर खाना खाया फिर वापस आकर सोफे पर बैठ गये। शर्मा अंकल और हालदार अंकल अब बड़े वाले सोफे पर बैठे। वो सोफा टीवी के ठीक सामने रखा हुआ था। मैं दूसरे सोफे पर बैठने लगी तो शर्मा अंकल ने मुझे रोक दिया- "अरे वहाँ क्यों बैठ रही हो। यहीं पर आजा यहाँ से अच्छा दिखेगा। दोनो सोफे के दोनो किनारों पर सरक कर मेरे लिए बीच में जगह बना दिए। मैं दोनो के बीच आकर बैठ गयी। फिर हम मैच देखने लगे। वो दोनो वापस बियर लेने लगे। मैं बस उनका साथ दे रही थी। बातों बातों में आज मैने ज़्यादा ले लिया था इसलिए अब मैं कंट्रोल कर रही थी जिससे कहीं बहक ना जाउ। आप सब तो जानते ही होंगे कि IPL के मैच हो तो कैसा महौल रहता है। " आज मुम्बई इंडियन्स जीतना ही नही चाहते हैं।" शर्मा जी ने कहा" ये ऐसे खेल रहे हैं जैसे पहले से सट्टेबाज़ी कर रखी हो।" हालदार अंकल ने कहा।"आप लोग इस तरह क्यों बोल रहे हैं? देखना मुम्बई इंडियन्स जीतेगी।" मैने कहा " हो ही नही सकता। शर्त लगा लो मुम्बई इंडियन्स हार कर रहेगी" शर्मा अंकल ने कहा।तभी एक और छक्का लगा। " देखादेखा. " शर्मा अंकल ने मेरी पीठ पर एक हल्के से धौल जमाया " मेरी बात मानो ये सब मिले हुए हैं।" खेल आगे बढ़ने लगा। तभी एक विकेट गिरा तो हम तीनो उछल पड़े। मैं खुशी से शर्मा अंकल की जाँघ पर एक ज़ोर की थपकी दे कर बोली "देखा अंकल? आज इनको कोई नही बचा सकता। इनसे ये स्कोर बन ही नही सकता।"

मैं इसके बाद वापस खेल देखने में बिज़ी हो गयी। मैं भूल गयी थी कि मेरा हाथ अभी भी शर्मा अंकल की जांघों पर ही पड़ा हुआ है। शर्मा अंकल की निगाहें बार बार मेरी हथेली पर पड़ रही थी। उन्होंने सोचा शायद मैं जान बूझ कर ऐसा कर रही हूँ। उन्होंने भी बात करते करते अपना एक हाथ मेरा स्कर्ट जहाँ ख़त्म हो रहा था वहाँ पर मेरी नग्न टांग पर रख दिया। मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और मैने जल्दी से अपना हाथ उनकी जांघों पर से हटा दिया। उनका हाथ मेरी टाँगों पर रखा हुआ था। हालदार अंकल ने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख दी। मुझे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा। अब लास्ट तीन ओवर बचे हुए थे। खेल काफ़ी टक्कर का हो गया था। खेल के हर बॉल के साथ हम उछल पड़ते। या तो खुशियाँ मनाते या बेबसी में साँसें छोड़ते। उछल कूद में कई बार उनकी कोहनियाँ मेरे बूब्स से टकराई।

पहले तो मैने सोचा शायद ग़लती से उनकी कोहनी मेरे बूब्स को छू गयी होगी लेकिन जब ये ग़लती बार बार होने लगी तो उनके ग़लत इरादे की भनक लगी। आख़िरी ओवर गया " इसको लास्ट ओवर काफ़ी सोच समझ कर करना होगा "" अरे अंकल देखना ये हालत कैसे खराब करता है।" मैने कहा "नही जीत सकती मुम्बई इंडियन्स की टीम नही जीत सकती लिख के लेलो मुझसे। आज कोलकता नाईट राइडर्स के जीतने पर मैं शर्त लगा सकता हूँ।" शर्मा अंकल ने कहा।" और मैं भी शर्त लगा सकती हूँ की मुम्बई इंडियन्स ही जीतेगी" मैने कहा। आख़िरी दो बॉल बचने थे खेल पूरी तरह मुम्बई इंडियन्स के फेवर में चला गया था। " कुछ भी। इसे आउट नही कर सके तो कुछ भी हो सकता है।" शर्मा अंकल ने फिर जोश में कहा।" अब तो क्या उसके फरिश्ते भी जाएँ ना तो भी इनको हारने से नही बचा सकते।" "चलो शर्त हो जाए।" शर्मा अंकल ने कहा।" हां हां हो जाए।।" हालदार अंकल ने भी उनका साथ दिया। मैने पीछे हटने को अपनी हार मानी और वैसे भी मुम्बई इंडियन्स की जीत तो पक्की थी। लास्ट बॉल बचा था और जीतने के लिए पाँच रन चाहिए थे। अगर एक चोका भी लगता तो दोनो टीम टाइ पर होते। जीत तो सिर्फ़ एक सिक्स ही दिला सकती थी जो कि इतने टेन्स मोमेंट में नामुमकिन था। "बोलो अब भगोगे तो नहीं। आख़िरी बॉल और पाँच रन। चार रन भी हो गये तो दोनो बराबर ही रहेंगे। जीतने के लिए तो सिर्फ़ छक्का चाहिए।" मैने गर्व से गर्दन अकड़ा कर शर्मा जी की तरफ देखा। शर्मा अंकल ने अपने कंधे उचकाय कहा कुछ नही। उनको भी लग गया था कि आज मुम्बई इंडियन्स ही जीतेगी। फील्डर्स सारे बाउंड्री पर लगा दिए गये थे। मैने उनसे पूछा- "सोच लो... अब शर्त लगाओगे क्या। 99% तो मुम्बई इंडियन्स जीत ही चुकी है।""शर्त तो हम लगाएँगे ही। देखना बैटिंग कर रहा है। वो पूरी जान लगा देगा।" शर्मा अंकल ने अपनी हाथ से फिसलती हुई हेकड़ी को वापस बटोरते हुए कहा। "ठीक है हो जाए शर्त।" कह कर मैने अपने एक हाथ शर्मा अंकल के हाथ में दिया और एक हाथ हालदार अंकल के हाथ में दिया।
















Continued in Part II






















































































































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